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श्री रावतपुरा सरकार संस्कृत महाविद्यालय
श्री रावतपुरा सरकार संस्कृत महाविद्यालय
श्री रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट द्वारा संचालित
स्थापना
श्री रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट द्वारा संस्कृति भाषा वेद भाषा का प्रचार प्रसार करने के उद्देश्य से सर्वप्रथम २००६ में चम्बल के बीहड़ घाटियों में श्री रावतपुरा सरकार आश्रम में संस्कृत विद्यालय की स्थापना की गयी | यह विद्यालय प्रारम्भ में प्रवेशिका ५वी से लेकर उत्तर मध्यमा १२वी तक संचालित किया गया | शासन द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के अतिरिक्त वेद , ज्योतिष , कंप्यूटर संगीत आदि विषयो को भी जोड़ा गया है| वर्तमान में यह विद्यालय शास्त्री आचार्य की भी कक्षाएं संचालित कर रहे है | उक्त विधालय को २०१६-१७ में महाविद्यालय का रूप दिया गया | सत्र २००७-०८ में भगवन राम की तपोस्थली चित्रकूट में श्री रावतपुरा सरकार संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की स्थापना की गयी यह विद्यालय प्रवेशिका ५वी से उत्तर मध्यमा १२वी तक संचालित है |
संस्कृत दर्शनम
वेद भाषा एवं संस्कृत भाषा को भारत देश का आधार स्तम्भ माना गया है | संस्कृत केवल देवो की भाषा ही नहीं बल्कि संस्कृत भाषा प्रत्येक व्यक्ति की है विद्यालय संस्था पर श्रद्धेय अनंत विभूषित श्री रवि शंकर जी महाराज श्री का वेद भाषा और संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार करने हेतु संस्कृत विद्यालय को एक वटवृक्ष के रूप में स्थापित किया |
श्रद्धेय अनंत विभूषित श्री रवि शंकर जी महाराज श्री
श्री रावतपुरा सरकार संस्कृत महाविद्यालय (श्री रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट द्वारा संचालित )
श्री रावतपुरा सरकार आश्रम , लहार, जिला भिंड (म० प०)
श्री रावतपुरा सरकार संस्कृत संस्थानम, मान्यता (सम्बद्धता ) :
प्रवेशिका (५वी) तः उत्तरमध्यमा द्वतीयवर्ष (१२वी), महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थानम भोपालम म० प० स्कूल शिक्षा विभाग अन्तर्गतेन.
निदेशक की कलम से
जिस प्रकार देवता अमर है उसी प्रकार संस्कृत भाषा भी अपने विशाल साहित्य लोकहित की भावना विभिन्न प्रयासों तथा उपसर्गो के द्वारा नवीन नवीन शब्दों के निर्माण की क्षमता आदि के द्वारा अमर है आधुनिक विद्वानों के अनुसार संस्कृत भाषा का अखंड प्रवाह पाँच सहस्त्र वर्षो से बहता चला आ रहा है भारत में यह आर्यभाषा का सर्वाधिक महत्वशाली व्यापक और संपन्न स्वरुप है | इसके माध्यम से भारत के उत्कृष्टम मनीषा प्रतिभा अमूल्य चिंतन विवेक प्रज्ञा का अविव्यंजन हुआ है| आज भी सभी क्षेत्रो में इस भाषा के ग्रन्थ निर्माण की क्षीण धारा अभीक्षिन्न रूप से बह रही है | हिन्दुओ के सांस्कारिक कार्यो में आज भी यह प्रयुक्त होती है | इसी कारण यह मात्रा भाषा नहीं बल्कि अमर भाषा है |
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